Hindu Samskriti Ke Vat Vishal (исполнитель: RSS)

तेरी चोटि नभ छूती है
तेरी जड पहुँच रही पाताल
हिन्दु संस्कृति के वट विशाल॥धृ॥

जाने कितने ही सूर्योदय मध्यान्ह अस्त से तू खेला
जाने कितने तूफानों को तूने निज जीवन में झेला
कितनी किरणों से लिपटी है तेरी शाखाएँ डाल-डाल ॥१॥

जाने कितने प्रिय जीवों ने तुझमें निज नीड़ बनाया है
जाने कितने यात्री गण ने आ रैन बसेरा पाया है
कितने शरणागत पूज रहे तेरा उदारतम अन्तराल ॥२॥

कुछ दुष्टों ने जड़ भी खोदी शाखा तोड़ी पत्ते खींचे
फिर कई विदेशी तत्वों के विष से जड़ के टुकड़े सींचे
पर सफल आज तक नहीं हुई उन मूढ़ जनों की कुटिल चाल ॥३॥

अनगिन शाखाएँ बढ़ती है धरती में मूल पकड़ती हैं
हो अन्तर्विष्ट समष्टि समा वे तेरा पोषण करती है
तुझ में ऐसी ही मिल जाती जैसे सागर में सरित माल ॥४॥

उन्मुक्त हुआ लहराता है छाया अमृत बरसाता ह
Послушать/Cкачать эту песню
Mp3 320kbps на стороннем сайте

Видео к песне:
Открытка с текстом :
Удобно отправить или распечатать
Создать открытку
У нас недавно искали песни:
Пусть будет так Август  Tryhardninja dream your dream  Приезжай в Ереван Армен Джан  Химические формулы Лиман Ft 9ent  I Love Belarus Анастасия Винникова  Любила Мари Краймбрери  Гиггз гремит оружие  Сон DJ Pholdee 2010 Remix Олеся Астапова 
О чем песня
RSS - Hindu Samskriti Ke Vat Vishal?
2020 © Tekstovoi.Ru Тексты песен