Khul Kabhi (haider) (исполнитель: Arjit Singh)

खुल कभी तो, खुल कभी कहीं
मैं आसमां, तू मेरी ज़मीन
बूँद-बूँद बरसूँ मैं
पानी-पानी खेलु-खेलु और बेह जाऊं
गीले-गीले होठों को मैं
बारिशों से चूमूँ-चूमूँ और कह जाऊं
तू.. ज़मीन है, तू.. मेरी ज़मीन

खुल कभी तो, खुल कभी कहीं
मैं आसमां, तू मेरी ज़मीन

मममम …

लब तेरे यूँ खुले जैसे हर्फ़ थे
होंठ पर यूँ घुले जैसे बर्फ थे
आना ज़रा-ज़रा मैं हौले-हौले
सांस-सांस सेंक दूँ तुझे

लब तेरे यूँ खुले जैसे हर्फ़ थे
होंठ पर यूँ घुले जैसे बर्फ थे
तू ही तू है, मैं कहीं नहीं

हमम.. खुल कभी तो, खुल कभी कहीं
हमम.. मैं आसमा, तू मेरी ज़मीन

झुक के जब झुमका मैं चूम रहा था
देर तक गुलमोहर झूम रहा था
जल के मैं सोचता था:
गुलमोहर की आग ही में फ़ेंक दूँ तुझे

झुक के जब झुमका मैं चूम रहा था
देर तक गुलमोहर झूम रहा था
तू मेरी कसम, तू मेरा यक़ीन

खुल कभी तो, खुल कभी कहीं
मैं आसमा
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Arjit Singh - Khul Kabhi (haider)?
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